पन्नाधाय जैसी मामूली स्त्री की स्वामीभक्ति की कहानी

છબી
चित्तौड़गढ़ के इतिहास में जहाँ पद्मिनी के जौहर की अमरगाथाएं, मीरा के भक्तिपूर्ण गीत गूंजते हैं वहीं पन्नाधाय जैसी मामूली स्त्री की स्वामीभक्ति की कहानी भी अपना अलग स्थान रखती है। बात तब की है‚ जब चित्तौड़गढ़ का किला आन्तरिक विरोध व षड्यंत्रों में जल रहा था। मेवाड़ का भावी राणा उदय सिंह किशोर हो रहा था। तभी उदयसिंह के पिता के चचेरे भाई बनवीर ने एक षड्यन्त्र रच कर उदयसिंह के पिता की हत्या महल में ही करवा दी तथा उदयसिंह को मारने का अवसर ढूंढने लगा। उदयसिंह की माता को संशय हुआ तथा उन्होंने उदय सिंह को अपनी खास दासी व उदय सिंह की धाय पन्ना को सौंप कर कहा कि, “पन्ना अब यह राजमहल व चित्तौड़ का किला इस लायक नहीं रहा कि मेरे पुत्र तथा मेवाड़ के भावी राणा की रक्षा कर सके‚ तू इसे अपने साथ ले जा‚ और किसी तरह कुम्भलगढ़ भिजवा दे।” पन्ना धाय राणा साँगा के पुत्र राणा उदयसिंह की धाय माँ थीं। पन्ना धाय किसी राजपरिवार की सदस्य नहीं थीं। अपना सर्वस्व स्वामी को अर्पण करने वाली वीरांगना  पन्ना धाय का जन्म कमेरी गावँ में हुआ था। राणा साँगा के पुत्र उदयसिंह को माँ के स्थान पर दूध पिलाने के कारण पन्ना ‘धाय माँ’ कह...

Bhati Itihas

✪ वंश- भाटी
✪ कुल- चंद्रवंशी 
✪ संस्थापक- भट्टीय 
✪ कुलदेवी- स्वांगिया माता: आयड माता का ही एक रूप है 
✪ प्रचलित सिक्के- 
  ⇨ अखेशाही (चांदी का सिक्का) 
  ⇨ डोडिया (तांबे का सिक्का) 
✪ राजधानियां- 
  ⇨ भटनेर- भट्टीय  (285 इसवी) 
  ⇨ तनोट- मंगल राव भाटी 
  ⇨ लोद्रवा- देवराज भाटी 
  ⇨ जैसलमेर- स्थापना- 1155 ईस्वी में राव जैसल द्वारा स्थापित
✪ उपाधियां- 
  ⇨ चुडाला- विजय राज प्रथम भाटी (देवी से चुड प्राप्त)
  ⇨ उत्तरभड किवाड- विजय राज द्वितीय भाटी
✪ मगल (अकबर) अधीनता स्वीकार करने वाला नरेश- 
  ⇨ हरराय भाटी द्वारा 
  ⇨ नागौर दरबार (3 नवंबर1570 इसवी में)
✪ ब्रिटिश कंपनी से संधि-
  ⇨ मूलराज द्वितीय पार्टी द्वारा
  ⇨ दिसंबर 1818 में 
✪ 1857 की क्रांति-
  ⇨ महारावल रणजीत सिंह के कॉल में
✪ जैसलमेर प्रजामंडल-
  ⇨ स्थापना- 1945 में जोधपुर में 
  ⇨ संस्थापक- मिठालाल व्यास 
✪ अंतिम नरेश-
  ⇨ महारावल जवाहर सिंह भाटी
  ⇨ एकीकरण के चतुर्थ चरण वृहत्तर राजस्थान संघ में 30 मार्च 1949 को विलय
✪ प्रसिद्ध क्रांतिकारी-
    - 1915 में सर्वहितकारी वाचनालय जैसलमेर की स्थापना
    - जैसलमेर में गुंडाराज नामक अपनी पुस्तक में महारावल जवाहर सिंह भाटी के अत्याचारी          शोषण का पर्दाफाश
    - दूसरी पुस्तक आजादी के दीवाने (जेल में लिखी)
    - 4 अप्रैल 1946 को थाने में थानेदार गुमान सिंह द्वारा जिंदा जलाया गया
    - गोपाल स्वरूप पाठक आयोग द्वारा हत्या की घटना को आत्महत्या करार

✪ अढाई साका- 
  ⇨ प्रथम पूर्ण शाखा-
    - साका नरेश मूलराज भाटी प्रथम के काल में
    - अलाउद्दीन खिलजी का आक्रमण 
    - 1314 ईसवी में (डॉ दशरथ शर्मा के अनुसार 1308 इसी में) 
  ⇨ द्वितीय पूर्ण साका- 
    - नरेश राव दुदा की काल में
    - मोहम्मद बिन तुगलक का आक्रमण
    - 1327 ईस्वी में 
  ⇨ तृतीय अर्ध साका-
    - राव लूणकरण भाटी के काल में
    - काबुल के पद्चयुत आमिर खान का षड्यंत्र
    - 1550 ईस्वी में 
    - राव लूणकरण भाटी संघर्ष में मारा गया लेकिन समस्त षड्यंत्रकारी समाप्त हो गए
    - जोहर संपन्न नहीं (चुँकि केसरिया हुआ अतः अर्ध साका कहलाया )


ટિપ્પણીઓ

આ બ્લૉગ પરની લોકપ્રિય પોસ્ટ્સ

JADEJA VANSH

Jogidasbapu Khuman

કાઠી રાજગોર ના રાજવટ્ટઃ🎌