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पन्नाधाय जैसी मामूली स्त्री की स्वामीभक्ति की कहानी

છબી
चित्तौड़गढ़ के इतिहास में जहाँ पद्मिनी के जौहर की अमरगाथाएं, मीरा के भक्तिपूर्ण गीत गूंजते हैं वहीं पन्नाधाय जैसी मामूली स्त्री की स्वामीभक्ति की कहानी भी अपना अलग स्थान रखती है। बात तब की है‚ जब चित्तौड़गढ़ का किला आन्तरिक विरोध व षड्यंत्रों में जल रहा था। मेवाड़ का भावी राणा उदय सिंह किशोर हो रहा था। तभी उदयसिंह के पिता के चचेरे भाई बनवीर ने एक षड्यन्त्र रच कर उदयसिंह के पिता की हत्या महल में ही करवा दी तथा उदयसिंह को मारने का अवसर ढूंढने लगा। उदयसिंह की माता को संशय हुआ तथा उन्होंने उदय सिंह को अपनी खास दासी व उदय सिंह की धाय पन्ना को सौंप कर कहा कि, “पन्ना अब यह राजमहल व चित्तौड़ का किला इस लायक नहीं रहा कि मेरे पुत्र तथा मेवाड़ के भावी राणा की रक्षा कर सके‚ तू इसे अपने साथ ले जा‚ और किसी तरह कुम्भलगढ़ भिजवा दे।” पन्ना धाय राणा साँगा के पुत्र राणा उदयसिंह की धाय माँ थीं। पन्ना धाय किसी राजपरिवार की सदस्य नहीं थीं। अपना सर्वस्व स्वामी को अर्पण करने वाली वीरांगना  पन्ना धाय का जन्म कमेरी गावँ में हुआ था। राणा साँगा के पुत्र उदयसिंह को माँ के स्थान पर दूध पिलाने के कारण पन्ना ‘धाय माँ’ कह...

पन्नाधाय जैसी मामूली स्त्री की स्वामीभक्ति की कहानी

છબી
चित्तौड़गढ़ के इतिहास में जहाँ पद्मिनी के जौहर की अमरगाथाएं, मीरा के भक्तिपूर्ण गीत गूंजते हैं वहीं पन्नाधाय जैसी मामूली स्त्री की स्वामीभक्ति की कहानी भी अपना अलग स्थान रखती है। बात तब की है‚ जब चित्तौड़गढ़ का किला आन्तरिक विरोध व षड्यंत्रों में जल रहा था। मेवाड़ का भावी राणा उदय सिंह किशोर हो रहा था। तभी उदयसिंह के पिता के चचेरे भाई बनवीर ने एक षड्यन्त्र रच कर उदयसिंह के पिता की हत्या महल में ही करवा दी तथा उदयसिंह को मारने का अवसर ढूंढने लगा। उदयसिंह की माता को संशय हुआ तथा उन्होंने उदय सिंह को अपनी खास दासी व उदय सिंह की धाय पन्ना को सौंप कर कहा कि, “पन्ना अब यह राजमहल व चित्तौड़ का किला इस लायक नहीं रहा कि मेरे पुत्र तथा मेवाड़ के भावी राणा की रक्षा कर सके‚ तू इसे अपने साथ ले जा‚ और किसी तरह कुम्भलगढ़ भिजवा दे।” पन्ना धाय राणा साँगा के पुत्र राणा उदयसिंह की धाय माँ थीं। पन्ना धाय किसी राजपरिवार की सदस्य नहीं थीं। अपना सर्वस्व स्वामी को अर्पण करने वाली वीरांगना  पन्ना धाय का जन्म कमेरी गावँ में हुआ था। राणा साँगा के पुत्र उदयसिंह को माँ के स्थान पर दूध पिलाने के कारण पन्ना ‘धाय माँ’ कह...

thakur mohan singh pratihar

છબી
=हुतात्मा ठाकुर मोहन सिंह मडाड(रघुवंशी प्रतिहार)=   (यादगार अहमद की तवारीखें-सलतीने-अफगाना; इलियट एंड डौसन भाग 5; बाबरनामा, सर एडीलवर्ट टेबोलेट का अंग्रेजी अनुवाद पर आधारित)   ठाकुर मोहन सिंह मडाड का इतिहास साहस और शौर्य की परकाष्ठा है और भारत के इतिहास में जालौर के सोनीगारा चौहान वीरमदेव के बाद क्षत्रियों का शौर्य प्रदर्शित करने वाले इस दुर्लभ वीर पुरुष की जितनी प्रशंशा की जाय वह कम ही होगी क्योकि अल्प और सीमित साधन रहते हुए इन्होंने उस बाबर की समुद्र सी लहराती प्रबल सत्ता को चुनौती दी उसके अह्निर्श विजयों से उत्तर भारत थर थर काँप रहा था, इन्होंने उस महाबली बाबर को भी अपनी तलवार का पानी पिला कर छोड़ा। यह घटना है सन 1530 की है| उस समय बाबर लाहौर में था और आगरा जाने की तैयारी में था। 4 मार्च सन् 1530 ईस्वी को बाबर ने लाहौर से आगरा जोन के लिए प्रस्थान किया। सरहिंद पहुँचने पर उसे समाना के काजी ने उससे मुलाकात कर बताया की कैथल के मोहन सिंह मडाड (मंडहिर) नामक राजपूत ने उसकी इमलाक (जागीर) पर हमला करके उसे लूटकर जलाया और उसके बेटे को मार डाला। काजी की बात सुन के आग बबूला हुए बाबर ने फ़...